
आज का वेदमंत्र, अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवान...


आज का वेदमंत्र, अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जीतेन्द्र भाटिया द्वारा🙏🌻 आदित्ते अस्य वीर्यस्य चर्किरन्मदेषु वृषन्नुशिजो यदाविथ सखीयतो यदाविथ। चकर्थ कारमेभ्यः पृतनासु प्रवन्तवे। ते अन्यामन्यां नद्यं सनिष्णत श्रवस्यन्तः सनिष्णत॥ ऋग्वेद १-१३१-५।।🙏🌻 हे शक्तिशाली प्रभु, जो मनुष्य तुम्हारे साथ मित्रता करना चाहता है, उसे तुम रक्षित करते हो और समृद्धि देते हो। वह आप की उपासना करके शक्तियां प्राप्त करता है, और अपनी क्रियाशीलता से शत्रुओं - काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि को नष्ट करता है। वह धन की समृद्धि चाहता है, जिससे कि वह दूसरे मनुष्यों की सहायता कर सकें। प्रभु उसे सदैव आनंद प्रदान करते हैं।🙏🌻 O mighty lord, You protect and prosper the man who wants to befriend You. He worships you and acquires powers, and by his actions destroys his enemies - lust, anger, greed, attachment etc. He intends to have wealth to help other human beings. God always provides bliss to such people. (Rig Veda 1–131–5)🙏🌻 #vedgsawana🙏🌻 🙏🌻🙏🌻🙏🌻🙏 मुझे पता है कि मेरा कोई अपना मूर्खता नहीं करेगा अपना और अपने परिवार का ध्यान रखेगा।
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