
महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपनी मृत्यु से ठीक पह...


महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपनी मृत्यु से ठीक पहले लोगों को संदेश देते हुए कहा था कि:-सारे खिड़की दरवाजे खोल दो, और सब मेरे पीछे आ जाओ।.......कदाचित इसका आशय जो मेरी समझ में आया कि, अपनी आँख कान और बुद्धि के कपाट सदा खुले रख.कर मेरी(वेद)की बातों के पीछे पीछे चलना अर्थात् उसी का अनुकरण-अनुसरण करना।निश्चित रूप से आज इस भय के वातावरण में वह बात याद आ रही है:-यज्ञ/हवन के अनुष्ठान से वायु और वृष्टि जल की शुद्धि करके श्रेष्ठ व उत्तम सुख प्राप्त करने के लिए सुगन्धित पौष्टिक, औषधिक व गोघृत आदि उत्तमोत्तम पदार्थों से होम अर्थात् आहुति करके श्रद्धा व प्रीति पूर्वक नित्य हवन करना चाहिए।इस प्रकार यज्ञ/हवन करने से संसार में सब रोग नष्ट हो कर शुद्ध गुण प्रकाशित होते हैं।क्यों कि:-सन्ध्या काल में किया गया हवन सायंकाल से लेकर प्रातःकाल तक और प्रात:काल किया गया हवन प्रातःकाल से लेकर सायंकाल तक वायु की शुद्धि करके सुख देने वाला तथा आरोग्यकारक अर्थात् रोगों से रक्षा करने वाला भी. होता है। ......अत: हवन प्रदूषण मुक्ति का साधन होने के साथ ही रोग नाशक तथा रोगों के प्रति सुरक्षा कवच प्रदान करने वाला भी होता है।अतः सुरक्षित रहने के लिए उत्तम कोटि की. सामग्री से यथा सामर्थ्य हवन अवश्य करें
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